ऋषि वशिष्ठ ने राम का नामकरण करते समय किस गणितीय सूत्र का प्रयोग किया था? राम नाम क्या है?
1) नाम चतुर्गुण पंचतत्व मिलन तांसा द्विगुण प्रमाण,
तुलसी अष्ट सोभाग्ये अंत में राम ही राम।
तुलसी दास जी कहते हैं सृष्टि के समस्त वस्तुओं प्रणियों में राम नाम विद्यमान है।
किसी भी वस्तु के नाम के अक्षरों की संख्या ले उसे ४ से गुणा करें तत्पश्चात उसमें ,५ जोड़लें जो उत्तर आए उसे २ से गुणा करें फिर प्राप्त परिणाम को ८ से भाग देने पर परिणाम सदा २ ही आएगा यही राम नाम के दो आखर हैं।
चतुर्गुण अर्थात चार पुरुषार्थ- धर्म कर्म काम मोक्ष
पंचतत्व- आकाश, पृथ्वी,जल, अग्नि वायु
द्विगुण- माया व ब्रह्म
अष्ट सोभागे- आठ प्रकार की लक्ष्मी या अष्टधा प्रकृति ( विद्या,अमृत, काम, सत्य,भोग,आग्य,आणि,योग)
2) गुरू वशिष्ठ जी ने राम नाम इस कारण रखा क्योंकि वे ब्रह्मग्यानी और त्रिकालग्य थे उन्होने उपरोहित कर्म ही इसी लिये स्वीकार किया था कि सूर्यवंश मे ब्रह्म का रामावतार होना है।इसके पूर्व परशुराम जी का नाम भी राम था पर उनका व्यवहार लोकरंजक नही बल्कि अनुशासक का था! उनके कठिन कर्म को देख उन्हे परशुराम कहा जाने लगा।राम नाम के विषय मे कहा जाता है
"रमन्ते योगिनो$नन्ते नित्यानंदे चिदात्मनि।
इति राम पदेनासौ परं ब्रह्माभिधीयते।"श्रीराम तापनीयोपनिषद्
सामान्यतः राम शब्द का उच्चारण होते ही अयोध्या के सूर्यवंशी राजा रामचंद्र का संकेत ग्रहण हो पाता है। यदि रामके उल्लेख के साथ सीता दशरथ रावण अयोध्या सरयूआदि पदों का प्रयोग वैदिक वांग्मय मे मिलने लगे तो निश्चयही रामकी सत्ता का विस्तारअतीत की चिरंतन चिंतनधारा तकअनायास दिखाई देने लगता है।महर्षि वाल्मीकि के वचनमे निहित विष्णुके रामावतार का रहस्यभी खुलने लगताहै।सकल लोकदायक अभिराम है!इसीसे रामहै।
3) कटपायादि संख्या? भगवान राम का नामकरण रघुवंशियों के गुरु महर्षि वशिष्ठ ने किया था। उनके अनुसार राम शब्द दो बीजाक्षरों अग्नि बीज और अमृत बीज से मिलकर बना है। ये अक्षर दिमाग, शरीर और आत्मा को शक्ति प्रदान करते हैं।
4) महाऋषी वशिष्ठ के अनुसार राम शब्द दो बीजाक्षरों अग्नि बीज और अमृत बीज से मिलकर बना है। ये अक्षर दिमाग, शरीर और आत्मा को शक्ति प्रदान करते हैं।
5) और हनुमानजी राम रहस्य उपनिषद में बताते है की...
शब्द "राम"। "रा" अष्टाक्षरी मंत्र "ॐ नमो नारायणाय" से लिया गया है और "म" पंचाक्षरी मंत्र "नम्: शिवाय" से लिया गया है।
6) गुरु बशिष्ट राजा दसरथ के बुलाने पर आते हैं तथा नामकरन करते हैं कैसे देखें ध्यान से
इन कर नाम अनेक अनूपा।
मै नृप कहब स्व मति अनुरुप।।
इनके अनेकों नाम है पर हे राजन मै इनका नाम से अपनी मति के अनुसार कहूंगा सो इस प्रकार है
जो आनंद सिंधु सुख रासी।
सीकर ते त्रैलोकसूपासी।।
जो आनंद के लिए सिंधु है सागर, समुद्र सुखों की राशि, सीकर माने सींक जिससे दांत खोदते हैं उसे सींक कहते है जो सींक मात्र से तीनो लोकों को सींचते है प्यास बुझाते हैं
ऎसे बालक का नाम है कहते हैं
सो सुख धाम राम अस नामा।
अखिल लोक दायक बिश्रामा।।
जो सुखों के धाम है का नाम है मै राम रखता हूं
जो अखिल ब्रामान्ड के नायक तीनो लोकों को बिश्राम देते हैं l
7) वशिष्ठ जी के अनुसार आनंद के सागर सुख की राशि जिस आनंद सिंधु के एक कण से तीनो लोकों में सुख और शांति मिलती है उनका नाम राम है
जो आनंद सिंधु सुख रासी , सीकर ते त्रिलोक सुपासी।
सो सुखधाम राम अस नामा अखिल लोक दायक विश्राम।
भगवान राम त्रेता युग में ही क्यों प्रकट हुए क्योंकि यह शास्त्रीय यज्ञ का युग था राम स्वयं यज्ञ कुंड के प्रसाद से हुए चार वेदों के तीन कांड कर्म, ज्ञान, भक्ति कांड अर्थात अंक (3) प्रगट होने के प्रधान (3 )कारण असुरों की समाप्ति देवी समाज की स्थापना वेद, शास्त्र का सेतु अखंड रखना, साधुओं का परित्राण
अग्नि बीज और अमृत बीज से बना नाम राम दिमाग शरीर आत्मा तीनों को शक्ति प्रदान करता है
शंकर जी के अनुसार राम नाम विष्णु सहस्त्र नाम के बराबर है
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे
सहस्त्रनाम ततुल्यम राम नाम वरानने।
' र 'अग्नि वाचक , 'अ' बीज मंत्र और ' म ' अर्थात ज्ञान। राम नाम मंत्र पापों का नाश करने वाला और ज्ञान प्रदान करने वाला है। तुलसीदास जी कहते हैं मैं श्री रघुनाथ जी के उस राम नाम की वंदना करता हूं जो अग्नि सूर्य चंद्रमा का हेतू है।
8) " रमंति इति राम : " अर्थात जो रोम रोम में रहते हैं जो समूचे ब्रह्मांड में व्याप्त है वो राम हैं
9) रमंते योगिन: यस्मिन स राम: अर्थात योगी जन जिसमें रमण करते हैं वह राम है
महाभारत में वर्णित है कि एक बार महादेव ने कहा कि तीन बार राम नाम का उच्चारण करने से हजार देवताओं के नामों का उच्चारण के बराबर फल प्राप्त होता है
राम नाम दो बार बोलने पर १०८ का योग होता है
र = २७
आ = २
म = २५
५४ +५४ = १०८
राम राम🙏
Comments
Post a Comment